2024 में आने वाले एकादशी व्रत की तारीखें
एकादशी व्रत पुराणों के मुताबिक, एकादशी को हरी वासर यानी भगवान विष्णु का दिन कहा जाता है। विद्वानों का ‘कहना है कि एकादशी व्रत यज्ञ और वैदिक कर्म-कांड से भी ज्यादा फल देता है। पुराणों में कहा गया है कि इस एकादशी व्रत को करने से मिलने वाले पुण्य से पितरों को संतुष्टि मिलती है। स्कन्द पुराण में भी एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है। इसको करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।
सफला एकादशी (पौष कृष्ण) 7 जनवरी 2024
पुत्रदा एकादशी (पौष शुक्ल) 21 जनवरी 2024
षट्तिला एकादशी (माघ कृष्ण) 6 फरवरी 2024
जया एकादशी (माघ शुक्ल) 20 फरवरी 2024
विजया एकादशी (फाल्गुन कृष्ण) वैष्णव 7 मार्च 2024
आमलकी एकादशी (फाल्गुन शुक्ल) 20 मार्च 2024
पापमोचनी एकादशी (चैत्र कृष्ण) 5 अप्रैल 2024
कामदा एकादशी (चैत्र शुक्ल) 19 अप्रैल
वरुथिनी एकादशी (वैशाख कृष्ण) 4 मई 2024
मोहिनी एकादशी (वैशाख शुक्ल) 19 मई 2024
अपरा एकादशी (ज्येष्ठ कृष्ण) वैष्णव 3 जून 2024
निर्जला एकादशी (ज्येष्ठ शुक्ल) 18 जून 2024
योगिनी एकादशी (आषाढ़ कृष्ण) 2 जुलाई 2024
हरिशयनी एकादशी (आषाढ़ शुक्ल) 17 जुलाई 2023
कामिका एकादशी (श्रावण कृष्ण) 31 जुलाई 2023
पवित्रा एकादशी (श्रावण शुक्ल) 16 अगस्त 2023
अजा एकादशी (भाद्रपद कृष्ण) 29 अगस्त 2024
पद्मा एकादशी (भाद्रपद शुक्ल) 14 सितंबर 2024
इंदिरा एकादशी (अश्विन कृष्ण) 28 सितंबर 2024
पापाकुंश (अश्विन कृष्ण) 14 अक्टूबर 2024
रमा एकादशी (कार्तिक कृष्ण) 28 अक्टूबर 2024
हरिप्रबोधिनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल) 12 नवंबर मंगलवार 2024
उत्पन्ना एकादशी (मार्गशीर्ष शुक्ल) 11 दिसंबर 2024
मोक्षदा एकादशी (मार्गशीर्ष शुक्ल) 11 दिसंबर 2024
सफला एकादशी (पौष कृष्ण) 26 दिसंबर 2024
एकादशी व्रत के नियम
साल भर में 24 एकादशी आती हैं। पद्म पुराण में एकादशी के व्रत के बारे में काफी वर्णन किया गया है। पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति साल की 24 एकादशी का व्रत रखता है और वह भोग और मोक्ष का अधिकारी हो जाता है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा से परम पद को पाता है। पद्म पुराण के अनुसार, एकादशी व्रत के नियम के अनुसार, एकादशी से एक दिन पहले व्यक्ति को एक समय का भोजन त्यागना होता है। एकादशी के दिन शाम के समय फलहार किया जाता है। अगले दिन द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद ही उपवास समाप्त होता है। एकादशी व्रत के प्रभाव से व्यक्ति जन्म और मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही दरिद्रता भी समाप्त हो जाती है।