Shri Laxmi Maharaj Mandir Goner
लक्ष्मी जगदीश मन्दिर गोनेर का इतिहास पढ़े:- राजस्थान की राजधानी जयपुर से कुछ ही दुरी पर स्थित गोनेर मैं श्री जगदीश महाराज का मंदिर जो बहुत प्रसिद्ध माना गया है इस मंदिर के बहुत से चर्चा में शामिल है जो हमेशा गोनेर महाराज के रूप मैं माने जाते है यह मंदिर सांगानेर तहसील एवं बगरू विधानसभा छेत्र मैं आता है जयपुर से १८ किलो मीटर की दुरी पर इस मंदिर को जयपुर का वृंदावन’ भी कहा जाता है यह प्रसिद्ध धामिक नगरी मानी जाती है दूसरी और यहाँ राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय शैक्षणिक संस्थान स्थित हैं। देश में सर्वप्रथम राज्य क्रीड़ा परिषद ने 1966 में ग्रामीण खेलों का आयोजन किया था लोगो का माना जाता है की यह मंदिर ५०० साल पुराना बना हुआ है इस मंदिर की पूजा सदियों से चलती आ रही है
श्री लक्ष्मी जगदीश महाराज मंदिर, गोनेर यह मंदिर अति प्राचीन मंदिर है और भव्य व कलात्मक है। इस मंदिर का प्रवेश द्वार संगमरमर से निर्मित है। मुख्य मण्डप में लक्ष्मी जगदीश की मूतियाँ स्थापित है। जिस चौकी पर मूर्तियों की स्थापना की गई है, उसके चारों ओर सुन्दर नक्काशी की गई हैं संगमरमर की चौखट पर बेल-बूटों के अलंकरण आकर्षित करते है। मुख्य मंडप की बनावट गुंबदनुमा है। मंडप के अन्दर की ओर कांच व अलंकरणों का बहुत ही सुन्दर काम किया गया है। जो देखने में बहुत ही आकर्षक लगता है। कांच पर विभिन्न रंगों के ज्यामितीय आकार व फूलों की आकृतियां बहुत ही सुन्दर लगती है। मंदिर में पिछले हिस्से की दीवार से इस मंदिर की प्राचीनता का अहसास होता है। सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर को चूने आदि से लीप कर सपाट कर दिया गया है। इस मंदिर में जो मूर्ति है। वह मूर्ति एक खेत में से खोद कर निकाली गई है और इस मूर्ति को खोजने का श्रेय देवादास नामक ब्राह्यण को है। देवीय प्रेरणा से यह मूर्ति निकाली गई है। मान्यतानुसार अकबर ने आठ सौ बीघा जमीन मंदिर को खेती के लिए प्रदान की थी। इस मंदिर में प्रतिदिन शुद्ध घी से बना भोग लगाया जाता है। शाम के समय दूध का भोग लगाया जाता है।
श्री लक्ष्मी जगदीश महाराज का जन्म दिवस महोत्सव ज्येष्ठ शुक्ला तृतीया को मनाया जाता है। इस मंदिर में पवित्रा एकादशी और विजयदशमी पर बड़ी धूम रहती है। यहाँ विभिन्न उत्सवों पर मेंलो का आयोजन भी किया जाता हैं। जैसे – फाल्गुन शुक्ला एकादशी, चैत्र कृष्णा द्वितीया तथा ‘सावन शुक्ला एकादशी’। इन अवसरों पर लाखों की संख्या में दर्शनार्थी दर्शनों का लाभ उठाते है। जयपुर के प्रसिद्ध मंदिरों में सबसे प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में चढ़ाये जाने वाले प्रसाद में देसी घी के मालपुए है।
जगदीश मंदिर के दर्शन Jagdish Temple Ke Darshan
इस मंदिर के दर्शन करना बहुत सरल है इस मंदिर मैं एकादशी को छोड़कर आप कभी भी आ सकते हो क्योंकि एकादशी पर बहुत जायदा भीड़ रहती है मेला लगा रहता है पास के गांवो से लोग मंदिर मैं माथा दोगने आते है बाबा के मंदिर मैं एकादशी पर प्रशासन पूरा बन्दबस करके रकता ताकि भीड जमा न हो सके और लोगो को दिकत का सामना न करना पड़े , श्री लक्ष्मी जगदीश महाराज के मंदिर मैं जो भी सर्धालू आये खाली हाथ नही लोटे इस मंदिर के पास बहुत बड़ा मार्केट बना हुआ है आपको सुई से लेकर मशीनरी भी मिल जाएगी
मंदिर पर आक्रमण Mandir Par Akarman
मुग़ल काल के समय जब इस मंदिर का लोगो मैं पूजना तो क्या हुआ था की मुग्लो को इस बात का पता चल गया और मुगलों को यह बात हजम नही हुई तो मुगलों में मंदिर को तोड़ने का प्लान बना लिया लेकिन कई बार विफल रहे ,क्योकि हिन्दुओ का मंदिर तोड़ने का किसी मैं आज तक हिमत नही हुई वो तो मुग़ल थे फिर भी हार गये ,उसके बाद से मंदिर और भी पूजता ही चला गया !और बाद मैं जयपुर के राजपरिवार से सहायता लेकर इन मुर्तिओं को एक जगह दी गयी उसके बाद मंदिर का निर्माण भी करवाया गया !
मंदिर की आरती का समय Mandir Ki Arti Ka Samay
मंदिर मैं आरती करने का समय निम्न प्रकार है
सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक मंदिर के द्वार खुले रहते है
भगवान को भोग दोपहर 11.30 से 12 बजे तक लगाया जाता है
मंदिर के पास निकटतम Mandir Ke Pass Nikattam
नाहरगढ़ किला ,गणेश मंदिर मोती डूंगरी ,जयगढ़ किला ,चन्द्र महल गर्धन ,सागर झील ,चाँद पोल मंदिर , वैष्णो देवी मंदिर राजापार्क,जवाहर सर्किल जैन मंदिर मानसरोवर ,गीता भवन ,गुरुद्वारा राजापार्क ,हवा महल ,पिंक सिटी ,रामनिवास बाग , आदि जयपुर मैं घुमने की लोकेशन है